नर्मदा नामावली
आचार्य संजीव 'सलिल'
पुण्यतोया सदानीरा नर्मदा.
शैलजा गिरिजा अनिंद्या वर्मदा.
शैलपुत्री सोमतनया निर्मला.
अमरकंटी शांकरी शुभ शर्मदा.
आदिकन्या चिरकुमारी पावनी.
जलधिगामिनी चित्रकूटा पद्मजा.
विमलहृदया क्षमादात्री कौतुकी.
कमलनयनी जगज्जननि हर्म्यदा.
शाशिसुता रौद्रा विनोदिनी नीरजा.
मक्रवाहिनी ह्लादिनी सौंदर्यदा.
शारदा वरदा सुफलदा अन्नदा.
नेत्रवर्धिनि पापहारिणी धर्मदा.
सिन्धु सीता गौतमी सोमात्मजा.
रूपदा सौदामिनी सुख-सौख्यदा.
शिखरिणी नेत्रा तरंगिणी मेखला.
नीलवासिनी दिव्यरूपा कर्मदा.
बालुकावाहिनी दशार्णा रंजना.
विपाशा मन्दाकिनी चित्रोंत्पला.
रुद्रदेहा अनुसूया पय-अंबुजा.
सप्तगंगा समीरा जय-विजयदा.
अमृता कलकल निनादिनी निर्भरा.
शाम्भवी सोमोद्भवा स्वेदोद्भवा.
चन्दना शिव-आत्मजा सागर-प्रिया.
वायुवाहिनी कामिनी आनंददा.
मुरदला मुरला त्रिकूटा अंजना.
नंदना नाम्माडिअस भव मुक्तिदा.
शैलकन्या शैलजायी सुरूपा.
विपथगा विदशा सुकन्या भूषिता.
गतिमयी क्षिप्रा शिवा मेकलसुता.
मतिमयी मन्मथजयी लावण्यदा.
रतिमयी उन्मादिनी वैराग्यदा.
यतिमयी भवत्यागिनी शिववीर्यदा.
दिव्यरूपा तारिणी भयहांरिणी.
महार्णवा कमला निशंका मोक्षदा.
अम्ब रेवा करभ कालिंदी शुभा.
कृपा तमसा शिवज सुरसा मर्मदा.
तारिणी वरदायिनी नीलोत्पला.
क्षमा यमुना मेकला यश-कीर्तिदा.
साधना संजीवनी सुख-शांतिदा.
सलिल-इष्ट माँ भवानी नरमदा.
*************************
शनिवार, 6 मार्च 2010
शनिवार, 2 जनवरी 2010
गीतिका: तितलियाँ --संजीव 'सलिल'
गीतिका
तितलियाँ
संजीव 'सलिल'
*
यादों की बारात तितलियाँ.
कुदरत की सौगात तितलियाँ..
बिरले जिनके कद्रदान हैं.
दर्द भरे नग्मात तितलियाँ..
नाच रहीं हैं ये बिटियों सी
शोख-जवां ज़ज्बात तितलियाँ..
बद से बदतर होते जाते.
जो, हैं वे हालात तितलियाँ..
कली-कली का रस लेती पर
करें न धोखा-घात तितलियाँ..
हिल-मिल रहतीं नहीं जानतीं
क्या हैं शाह औ' मात तितलियाँ..
'सलिल' भरोसा कर ले इन पर
हुईं न आदम-जात तितलियाँ..
*********************************
तितलियाँ
संजीव 'सलिल'
*
यादों की बारात तितलियाँ.
कुदरत की सौगात तितलियाँ..
बिरले जिनके कद्रदान हैं.
दर्द भरे नग्मात तितलियाँ..
नाच रहीं हैं ये बिटियों सी
शोख-जवां ज़ज्बात तितलियाँ..
बद से बदतर होते जाते.
जो, हैं वे हालात तितलियाँ..
कली-कली का रस लेती पर
करें न धोखा-घात तितलियाँ..
हिल-मिल रहतीं नहीं जानतीं
क्या हैं शाह औ' मात तितलियाँ..
'सलिल' भरोसा कर ले इन पर
हुईं न आदम-जात तितलियाँ..
*********************************
शुक्रवार, 1 जनवरी 2010
शुभ कामनाएं सभी को... संजीव "सलिल"
शुभ कामनाएं सभी को...
संजीव "सलिल"
salil.sanjiv@gmail.com
divyanarmada.blogspot.com
*
शुभकामनायें सभी को, आगत नवोदित साल की.
शुभ की करें सब साधना,चाहत समय खुशहाल की..
शुभ 'सत्य' होता स्मरण कर, आत्म अवलोकन करें.
शुभ प्राप्य तब जब स्वेद-सीकर राष्ट्र को अर्पण करें..
शुभ 'शिव' बना, हमको गरल के पान की सामर्थ्य दे.
शुभ सृजन कर, कंकर से शंकर, भारती को अर्ध्य दें..
शुभ वही 'सुन्दर' जो जनगण को मृदुल मुस्कान दे.
शुभ वही स्वर, कंठ हर अवरुद्ध को जो ज्ञान दे..
शुभ तंत्र 'जन' का तभी जब हर आँख को अपना मिले.
शुभ तंत्र 'गण' का तभी जब साकार हर सपना मिले..
शुभ तंत्र वह जिसमें, 'प्रजा' राजा बने, चाकर नहीं.
शुभ तंत्र रच दे 'लोक' नव, मिलकर- मदद पाकर नहीं..
शुभ चेतना की वंदना, दायित्व को पहचान लें.
शुभ जागृति की प्रार्थना, कर्त्तव्य को सम्मान दें..
शुभ अर्चना अधिकार की, होकर विनत दे प्यार लें.
शुभ भावना बलिदान की, दुश्मन को फिर ललकार दें..
शुभ वर्ष नव आओ! मिली निर्माण की आशा नयी.
शुभ काल की जयकार हो, पुष्पा सके भाषा नयी..
शुभ किरण की सुषमा, बने 'मावस भी पूनम अब 'सलिल'.
शुभ वरण राजिव-चरण धर, क्षिप्रा बने जनमत विमल..
शुभ मंजुला आभा उषा, विधि भारती की आरती.
शुभ कीर्ति मोहिनी दीप्तिमय, संध्या-निशा उतारती..
शुभ नर्मदा है नेह की, अवगाह देह विदेह हो.
शुभ वर्मदा कर गेह की, किंचित नहीं संदेह हो..
शुभ 'सत-चित-आनंद' है, शुभ नाद लय स्वर छंद है.
शुभ साम-ऋग-यजु-अथर्वद, वैराग-राग अमंद है..
शुभ करें अंकित काल के इस पृष्ट पर, मिलकर सभी.
शुभ रहे वन्दित कल न कल, पर आज इस पल औ' अभी..
शुभ मन्त्र का गायन- अजर अक्षर अमर कविता करे.
शुभ यंत्र यह स्वाधीनता का, 'सलिल' जन-मंगल वरे..
*******************
संजीव "सलिल"
salil.sanjiv@gmail.com
divyanarmada.blogspot.com
*
शुभकामनायें सभी को, आगत नवोदित साल की.
शुभ की करें सब साधना,चाहत समय खुशहाल की..
शुभ 'सत्य' होता स्मरण कर, आत्म अवलोकन करें.
शुभ प्राप्य तब जब स्वेद-सीकर राष्ट्र को अर्पण करें..
शुभ 'शिव' बना, हमको गरल के पान की सामर्थ्य दे.
शुभ सृजन कर, कंकर से शंकर, भारती को अर्ध्य दें..
शुभ वही 'सुन्दर' जो जनगण को मृदुल मुस्कान दे.
शुभ वही स्वर, कंठ हर अवरुद्ध को जो ज्ञान दे..
शुभ तंत्र 'जन' का तभी जब हर आँख को अपना मिले.
शुभ तंत्र 'गण' का तभी जब साकार हर सपना मिले..
शुभ तंत्र वह जिसमें, 'प्रजा' राजा बने, चाकर नहीं.
शुभ तंत्र रच दे 'लोक' नव, मिलकर- मदद पाकर नहीं..
शुभ चेतना की वंदना, दायित्व को पहचान लें.
शुभ जागृति की प्रार्थना, कर्त्तव्य को सम्मान दें..
शुभ अर्चना अधिकार की, होकर विनत दे प्यार लें.
शुभ भावना बलिदान की, दुश्मन को फिर ललकार दें..
शुभ वर्ष नव आओ! मिली निर्माण की आशा नयी.
शुभ काल की जयकार हो, पुष्पा सके भाषा नयी..
शुभ किरण की सुषमा, बने 'मावस भी पूनम अब 'सलिल'.
शुभ वरण राजिव-चरण धर, क्षिप्रा बने जनमत विमल..
शुभ मंजुला आभा उषा, विधि भारती की आरती.
शुभ कीर्ति मोहिनी दीप्तिमय, संध्या-निशा उतारती..
शुभ नर्मदा है नेह की, अवगाह देह विदेह हो.
शुभ वर्मदा कर गेह की, किंचित नहीं संदेह हो..
शुभ 'सत-चित-आनंद' है, शुभ नाद लय स्वर छंद है.
शुभ साम-ऋग-यजु-अथर्वद, वैराग-राग अमंद है..
शुभ करें अंकित काल के इस पृष्ट पर, मिलकर सभी.
शुभ रहे वन्दित कल न कल, पर आज इस पल औ' अभी..
शुभ मन्त्र का गायन- अजर अक्षर अमर कविता करे.
शुभ यंत्र यह स्वाधीनता का, 'सलिल' जन-मंगल वरे..
*******************
सदस्यता लें
संदेश (Atom)